Tuesday, August 6, 2013

जिंदगी

मेरी भी देखो क्या जिंदगी है,
मेरा दिल किसी और का मेरी जान किसी और की है!
इक जैसे ही हैं हम दोनों,
पर ये समानता, नदी के दो छोर कि है!
जो मिल नही सकते कभी,
पर राहें समुंदर के ओर की है!
जिसका बना हु सहारा, निभा तो उसीं से रहा हुं ,
पर जेहन में यादें उसी दौर की है!
जब मैं था तुम थी और थी हमारी मधुर कवितायें
लेकीन अब तो सारी दुनिया इक शोर सी है!