Tuesday, August 6, 2013

जिंदगी

मेरी भी देखो क्या जिंदगी है,
मेरा दिल किसी और का मेरी जान किसी और की है!
इक जैसे ही हैं हम दोनों,
पर ये समानता, नदी के दो छोर कि है!
जो मिल नही सकते कभी,
पर राहें समुंदर के ओर की है!
जिसका बना हु सहारा, निभा तो उसीं से रहा हुं ,
पर जेहन में यादें उसी दौर की है!
जब मैं था तुम थी और थी हमारी मधुर कवितायें
लेकीन अब तो सारी दुनिया इक शोर सी है!

Tuesday, May 7, 2013

जुन का झटका


बात उन दिनो की है जब मै राजस्थान मे था.. वहॉ मैने कूछ दिन सेंट. पी. एल. कॉनवेंट मे टीचरशीप भी की थी..एक दिन मै फर्स्ट क्लास मे विज़िबल और इनविज़िबल का डिफरेन्स समझा रहा था..
देखो बच्चो जो होता भी है और दिखता भी है वो विज़िबल..और जो होता तो है पर दिखता नही वो इनविज़िबल...जैसे तुम्हारे सामने जो बुक है वो है भी और दिख़ती भी है इसलिये वो विज़िबल पर जो हवा हम इनहेल करते है वो होती है पर दिख़ती नही इसलिये वो इनविज़िबल..समझे?
येस सर..बच्चो ने कहा...
ओके दबबू तुम्हे समझा? मैने एक थोडे से पढाई मे कमजोर स्टूडेंट से पुछा..
येस सर...दबबू बोला
ओके..मेरा भी मजाक का मूड बन गया तो मैने पुछा दबबू तेरी जो चड्डी दिख रही है वो क्या है?
विज़िबल है सर..
गुड..चल अब एक इनविज़िबल चीज का नाम बता..
पूजा मॅम की चड्डी सर...

पूजा मॅम को क्लास मे एंटर करता देख दबबू बोला...हेहे

पूजा मॅम 3 दिन तक स्कूल नही आई