Monday, January 4, 2010

मैंने संभाल के रखा है


मैंने संभाल के रखा है तेरे प्यार को वहाँ,
जहाँ ...........
आस है ना साँस है,
भुख है ना प्यास है|
शिकवा है ना शिकायत है,
जिंदगी है ना मौत है|
दूर है ना करीब है,
झुठ है ना फरेब है|
सूरज है ना चाँद है,
हुक्म है ना फरीयाद है|
जग है ना जंगल है,
फासला है ना मंजील है|
शितलता है ना तपन है,
खुशबु है ना पवन है|
धुप है ना छाँव है,
दर्द है ना घाँव है|
सीमा है ना क्षितीज है,
कल है ना आज है|
रुकना है ना रवानी है,
अंधेरा है ना रोशनी है|
तरंग है ना उमंग है,
आँशिया है ना आँगन है|
पर्वत है ना घाँटीया है,
तुफान है ना माँझिया है|
गाँव है ना शहर है,
सुबह है ना दोपहर है|
धरती है ना॑ अंबर है,
झील है ना समंदर है|
अंजान है ना पहचान है,
गरीब है ना धनवान है|
जहाँ ना तुमको कोई,....
'छु' सके......
'देख' सके.....
'पा' सके.....
दिल के आगे.....
बहुत आगे.....
मैंने संभाल के रखा है.....
तेरे प्यार को वहाँ....